Real story of Holi: होली की असली कहानी क्या है?
होली, भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख त्योहार है जो रंगों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार का महत्वपूर्ण अंग है रंगों का उत्सव, खुशियों का उत्सव, और सामाजिक एकता का प्रतीक। होली की असली कहानी मिश्रित मान्यताओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। यहां कुछ मुख्य कथाएँ हैं जिनके अनुसार होली का उत्सव मनाया जाता है:
- प्रहलाद और हिरण्यकश्यप
- यह कथा विष्णु भगवान के भक्त प्रहलाद और उसके अहंकारी पिता हिरण्यकश्यप के बीच की जाती है। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को भगवान विष्णु के प्रति भक्ति की शिक्षा नहीं दी थी और उसे अपनी भक्ति करने के लिए प्रेरित किया। प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति की और इसका प्रतिफल हिरण्यकश्यप के विरोध में भयंकर प्रहार और परेशानी का कारण बन गया।
- हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से सहायता ली और उसे एक अग्नि कुंड में बैठाकर प्रहलाद को जलाने की कोशिश की। होलिका के वरदान के अनुसार वह अग्नि में जलने की आश्वासन था। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका ही अग्नि में जल गई।
- इसी घटना को याद करते हुए होलिका दहन के दिन, जिसे होली के रूप में मनाया जाता है, लोग एक बड़े आग का बोना जलाते हैं और इसे होली कहते हैं। इसे होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है।
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गोपीयों और श्रीकृष्ण
- यह एक और प्रसिद्ध कथा है जो होली के रंगों के उत्सव से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में रहते हुए गोपियों के साथ खेलते हुए होली का उत्सव मनाया।
- श्रीकृष्ण और गोपियाँ अपने प्यार और भक्ति के रंगों में रंगते रहते थे। इसीलिए होली को “गोपी-वल्लभ” भी कहते हैं। इस कथा को याद करते हुए, होली के दिन लोग रंगों के साथ खेलते हैं और एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं।
ये केवल कुछ कहानियाँ हैं जो होली के प्रसिद्धता में हैं।
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