Holi named after Holika: होली का नाम होलिका के नाम पर क्यों रखा गया है?
होली का नाम “होलिका” के नाम पर रखा गया है, जो प्राचीन भारतीय पौराणिक कथा में महत्वपूर्ण रोल निभाती है। होलिका एक प्रमुख चरित्र थी जो प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप की बहन थी।
-
होलिका दहन की कथा:
- हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु के प्रति भक्ति की शिक्षा नहीं दी थी। प्रह्लाद का भक्तिभाव हिरण्यकश्यप को बहुत क्रोधित कर दिया था। उसने अनेक प्रयास किए पर उसका प्रह्लाद के भक्ति में कोई परिणाम नहीं हुआ।
- तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से सहायता ली। हिरण्यकश्यप की योजना थी कि वह अपने पुत्र प्रह्लाद को जलाने की कोशिश करेंगे। होलिका को एक अग्नि कुंड में बैठाकर वह जला देंगे, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त हुआ था कि वह अग्नि में जलने की आश्वासन था।
- लेकिन यहाँ पर विपरीत घटना हुई। जब होलिका ने अग्नि कुंड में बैठकर प्रह्लाद को ले जाने का प्रयास किया, तब भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। बजाय इसके, होलिका खुद जलकर मर गई। प्रह्लाद बिना किसी चोट के बाहर आया और उसे बचा लिया गया।
- इस कथा के अनुसार, होली के दिन “होलिका दहन” के रूप में एक आयोजन किया जाता है जिसमें लोग आग के चारों तरफ लकड़ी और गोबर का चूर्ण बोने और इसे जलाते हैं। इससे यह संदेश दिया जाता है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करें, बल्कि उसकी सुरक्षा करें।
इस प्रकार, होली का नाम होलिका के नाम पर रखा गया है जिससे इस उत्सव का अवधारणात्मक महत्व और उसका सामाजिक सन्देश भी समझा जा सकता है।
for more update:- click here