History of Ayodhya: अयोध्या राम मंदिर का इतिहास क्या है?
अयोध्या में स्थित राम मंदिर का इतिहास भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर भगवान श्री राम के पुजारी हनुमान के संकेत स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
राम मंदिर का निर्माण विवाद का विषय बन गया था, जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण और चर्चित मुद्दा रहा है। यह विवाद भगवान राम के जन्मस्थल के स्थान पर बाबर के समय में बनी बाबरी मस्जिद और उसके बाद के समय में राम मंदिर के निर्माण के इच्छुकता के चलते शुरू हुआ था।
- राम मंदिर का निर्माण की योजना को कई बार शुरू किया गया, लेकिन अनेक प्रतिबंधकों और मुद्दों के कारण इसका निर्माण स्थगित रहा। यह विवाद बढ़ता चला और अंततः 1992 में बाबरी मस्जिद की तोड़फोड़ के बाद और उसके बाद के विवादों के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अयोध्या जन्मभूमि विवाद पर निर्णय दिया।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, अयोध्या जन्मभूमि स्थल को भगवान राम के नाम पर समर्पित किया गया और एक राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि का निर्धारण किया गया। इसके बाद, 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास के लिए अयोध्या में जाकर अयोध्या राम मंदिर का निर्माण शुरू किया।
- यह मंदिर भगवान श्री राम को समर्पित है और यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण भारतीय समुदाय के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक क्षण है जिसे लोग बहुत उत्साह से देख रहे हैं।
- अयोध्या में राम मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के निर्माण का कथा हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है।
- राम मंदिर का निर्माण भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में माना जाता है। अनुसार रामायण महाकाव्य के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसी कारण अयोध्या में उनके जन्मस्थल को एक मंदिर के रूप में समर्पित किया गया।
- मंदिर का निर्माण इतिहास में कई बार हुआ और इसके चरण भी कई बार बदले गए। इसका एक प्रमुख मोर्चा 1992 में हुआ था, जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद के निर्माण के विरोध में हिंदू अधिकारियों द्वारा मस्जिद को तोड़ दिया गया था। इसके बाद, राम मंदिर के निर्माण के लिए एक मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, जो कि एक बड़े राष्ट्रीय और धार्मिक उत्सव के रूप में घोषित किया गया था। इस मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया में कई स्थानीय और राष्ट्रीय धार्मिक संगठनों का समर्थन था।
- 2020 में, भारतीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक स्थान आवंटित किया। मंदिर की भव्य नींव रखने के बाद, निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ और अनुमान है कि यह कार्य कुछ वर्षों में पूरा हो जाएगा।
- अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण है, जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों को फिर से स्थापित करता है।अयोध्या में स्थित श्री राम जन्मभूमि राम मंदिर का इतिहास भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादित विषय रहा है। इसका इतिहास लंबी परंपराओं और विवादों से भरा हुआ है।
1. पुराणिक कथाएँ : अनुसार, अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है। भगवान राम ने इसी जगह पर अपना जन्म लिया था। उनके जन्मस्थल पर एक मंदिर की निर्माण की मांग लंबे समय से चली आ रही है।
2. बाबर के आगमन: 1528 में मुगल सम्राट बाबर ने अयोध्या में बारह मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया। यह घटना भारत के इतिहास में एक अत्यधिक विवादास्पद घटना रही है।
3. अयोध्या के रामलला मंदिर की मांग: बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, हिंदू समुदाय ने अयोध्या में भगवान राम के लिए मंदिर बनाने की मांग जारी रखी। इसके लिए कई आंदोलन और अदालती मुकदमे चले।
4. अदालती जजमेंट: 2010 में उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले का फैसला दिया, जिसमें उन्होंने रामलला को स्थायी रूप से भूमि के मालिक माना और सुझाव दिया कि एक राम मंदिर का निर्माण किया जाए और मुस्लिम पार्श्वभूमि पर भी मस्जिद बनाई जाए।
5. सुप्रीम कोर्ट का फैसला: इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला और 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि राम मंदिर के लिए अयोध्या के जगह निर्माण करने की अनुमति देने के साथ ही एक आपेक्षिक मस्जिद के लिए भी अलग स्थान निर्धारित किया जाए।
6. राम मंदिर का निर्माण: 5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन के अवसर पर भूमि पूजन समारोह का आयोजन किया गया और 5 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के निर्माण का शिलान्यास किया। मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है और अयोध्या के चेतना में एक नया अध्याय जोड़ रहा है।
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